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मिखाईल बुल्गाकोव

मिख़ाईल बुल्गाकोव ( 1891-1940 ) का जन्म कीएव के एक कुलीन परिवार में हुआ। विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा संपन्न करके वह डाक्टर बन गये। प्रथम विश्वयुद्ध के वर्षों में उन्होंने मोर्चे पर सैनिक अस्पतालों में काम किया। अक्तूबर क्रांति के बाद वह कीएव लौटे और गृहयुद्ध के भंवर में फंस गये जो यहां परस्पर विरोधी पक्षों की बहुतायत के कारण विशेष रूप से प्रचंड था....

20 के दशक में बुल्गाकोव डाक्टर की प्रैक्टिस को तिलांजलि देकर साहित्य की साधना में लीन हो गये।

इस खंड में लेखक की जीवनी पर आधारित रचनाएं - ‘यादों की चिंदियां’, ‘यायावरी’, (इक याद बसी है दिल में...’ तथा उनकी व्यंग्यपूर्ण गल्प-कथाएं ‘घातक अंडे’ और ‘कुत्ते का दिल’ प्रकाशित हैं।

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